Sunday, October 16, 2011

आज और कल

- डा. रंजू सिंह

वो जूनून था,
ये तकदीर है,
वो ख्वाब था,
ये तस्वीर है,
न वो इश्क था,
न ये मोहब्बत है,
वो बेवफा था,
ये बेज़ार है,
न वो शर्मिंदा था,
न ये शर्मसार है,
उसको पाना गुनाह था,
इसे खोना गुनाह है |

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