-राजीव जयस्वाल
माया माया
मन भरमाया
योग , ध्यान
कुछ काम ना आया
जब माया ने
तीर चलाया
माया माया
मन भरमाया |
मन को कभी
काम ने घेरा
राम नाम का
रस बिसराया
कोमल बदन
काजर नयन
प्रेम पाश फँस
मिथ्या प्रीत में
जन्म गँवाया
माया माया
मन भरमाया |
मन को कभी
रुपईया भाया
सुबह शाम
धन खूब कमाया
धर्म ना जाना
मर्म ना जाना
पैसा पैसा
पास में आया
अंत समय
जब चला बावरा
खाली हाथ
कुछ साथ ना जाया
माया माया
मन भरमाया |
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