Tuesday, October 11, 2011

तमन्ना थी आवाज के जादूगर से

-अरविन्द योगी

बड़ी हसरत थी दिल में
कुछ कहने की कुछ सुनने की
बड़ी तमन्ना थी दिल में
आवाज के जादूगर से मिलने की
जो हर पल एक कली सा
जीवन के आँगन में
गजलों के खुशबू फैलता था
मन के कण कण महकाता था
जग को जिसने जीता था
जग भी उससे जीता था
आज जग है पर वो जीत नहीं
आवाज में ख़ामोशी पर गीत नहीं
उसकी ख़ामोशी भी एक संगीत थी
प्यार की प्यारी प्रीत थी
वो मुस्कराता था बचपन में
हंसाता था यौवन में हर मन में
उसकी जादूगरी कहें या दरियादिली
आज वृद्ध हुआ जब दूर हुआ
हर दिल की अब दिल से दुआ
गर तू कहीं है खुदा या तेरी खुदाई
आज तमन्ना फिर मचल आई
तू कर कुछ ऐसी खुदाई
जग को जीतने आये फिर वो सौदाई
हर धड़कन से है आवाज आई
जगजीत की हर प्रीत याद आई
महफ़िल की रीत मुरझाई
कागज की कश्ती और बारिश का पानी
हमेशा सावन में याद आएगा
जब भी उस जादूगर का गीत कोई गुनगुनाएगा
वो हर धड़कन बन गजल गायेगा
जगजीत तुझे तेरा जग
कभी ना भूल पायेगा
तू हर युग में सबको याद आएगा
पर एक हसरत बन एक याद बन
ये योगी मन तुझसे कहाँ मिल पयेगा
कौन फिर तुझसा मुस्कराएगा
जब जग में कोई तमन्ना जीत जायेगा
हर तमन्ना तेरे गीत गायेगा
आवाज का जादूगर तू हमेशा याद आएगा
भला कौन है जो तुझे भूल पायेगा
जगजीत तू बहुत याद आएगा !

यह कविता क्यों ? आवाज के जादूगर आदरणीय जगजीत सिंह जी हमेशा हर धकन में रहेंगे धडकते रहेंगे महकते रहेंगे और मन को विश्वास है वह हमारे बीच फिर आयंगे जब दिल से हर को उन्हें बुलाएगा ! समर्पित आदरणीय जगजीत सिंह जी की याद में

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